राजीव शर्मा और बोधि श्री
यह जागरूकता तो बढ़ी है
कि पेयजल ठीक न हो तो बीमार होने का खतरा रहता है। इसका एक नतीजा यह कि पेय जल स्वच्छ
करने के लिए रिवर्स ओस्मोसिस (आरओ)
सिस्टम घर-घर में लगने लगे हैं। जहाँ इसकी जरूरत नहीं, वहां भी लोग इसे लगा लेते हैं।
मानो यह कोई स्टेट्स सिंबल हो।बाजार में चार-पांच हजार
रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक की कीमत तक के 'आरओ' सिस्टम मौजूद हैं।
जहाँ यह सुनिश्चित
करना जरूरी है कि घरों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थलों का पेयजल अस्वास्थ्यकर न हो, वहीँ
यह समझना भी जरूरी है कि क्या 'आरओ' सिस्टम सचमुच में पेयजल को
स्वास्थ्यकर बनाता है या 'आरओ' की प्रक्रिया से गुजरा जल स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक
हो जाता है?
पहले यह जानना जरूरी है कि पेयजल
में अस्वच्छता से तात्पर्य क्या है? जल में कई तरह की अशुद्धियाँ होती हैं जिनमें जिनमें सबसे खतरनाक अशुद्धि होती है, बीमार करने
वाले वायरस, बैक्टीरिया, एलगी, पैरासाइट आदि की मौजूदगी। वायरस और बैक्टीरिया बहुत सूक्ष्म होते हैं, उनमें
से अधिकांश आरओ सिस्टम से हटाए जा सकते हैं ? पर सभी नहीं। इसलिए बहुत से आरओ सिस्टम
में वायरस या बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए एक अतिरिक्त उपाय के रूप में अल्ट्रा
वाइलट किरणें पैदा करने वाली युक्ति लगाई जाती है जो वायरस और बैक्टीरिया को मार देती हैं। वैसे, इनसे निपटने के लिए तो पानी
को ठीक से उबालना काफी है।
पेयजल की दूसरी बड़ी अशुद्धि मिट्टी, कीटनाशकों के अवशिष्ट सहित आर्सेनिक, फ्लोराइड, क्लोराइड जैसे तमाम किस्म के रसायनों व अनेक हानिकारक खनिज कणों की मौजूदगी के रूप में होती है। मोटे खनिज कणों को सामान्य फिलटरों
से दूर किया जा सकता है लेकिन जब कण बहुत बारीक़ हों तो वे फिल्टरों से भी गुजर
जाते हैं। उन्हें हटाने के काम को 'आरओ' सिस्टम बेहतरीन तरीके से करते हैं।
यह जानना
जरूरी है कि जहां बहुत से खनिज बीमारियां न्योतते हैं तो कुछ खनिज ऐसे भी होते हैं
जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी होते हैं। लेकिन 'आरओ' सिस्टम कोई भेदभाव नहीं करता, वह एक
आकार तक के अच्छे और ख़राब सभी कणों को दूर कर देता है।
पानी में लेड, मरकरी, कॉपर, अल्मुनियम, लोहा, मैग्नीशियम, सोडियम, कैल्शियम, सिलिका
आदि तमाम तरह के खनिज तत्व व इनसे बने यौगिक मौजूद होते हैं। इनमें से कई तो तरह-तरह
की बीमारी करते हैं जैसे सीसा दिमागी को नुकसान पहुंचाता है तो पारा शरीर के जोड़ों में जलन पैदा
करता है। लेकिन बहुत से खनिज जैसे लोहा, मैग्नीशियम, कैल्शियम और कॉपर आदि स्वास्थ्य
के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन चूंकि 'आरओ' सिस्टम इन हितकर खनिजों को भी हटा देते हैं, इससे शरीर में इन जरूरी खनिजों (मिनरल्स) की कमी हो जाती है।
आज जरूरी है कि मेडिकल
एसोसिएशन आदि इस बारे में जनता को जागरूक बनाएं
और उचित समाधान सुझाने का अभियान शुरू करें। कुछ कंपनियों ने ऐसे 'आरओ'
बाजार में उतारे हैं जो जल को स्वच्छ करने के बाद उसमें जरूरी खनिजों को मिलाते हैं।
लेकिन जानकार लोग बताते है कि ऐसी कंपनियों के दावों
में अनेक पेंच हैं। इस मामले में विज्ञापन में किये दावों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
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