राजीव शर्मा
खतरनाक बीमारी कैंसर
के नाम से तो हम घबराते हैं लेकिन मानसिक बीमारी गंभीर भी हो तो हम हंसी में उड़ा देते
हैं। हकीकत यह है कि अनेक मानसिक बीमारी ऐसी हैं जो कैंसर जितनी ही खतरनाक या उससे
भी ज्यादा पीड़ादायक साबित हो सकती है। मानसिक बीमारियां कैंसर, मधुमेह या ह्रदय रोग
सेअधिक आम हैं। 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी अमेरिकियों में से 26 फीसदी से अधिक ऐसे
हैं जो किसी न किसी मानसिक बीमारी के दायरे में आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की
वर्ष 2010 की एक रिपोर्ट में मानसिक बीमारियों के खर्च का वार्षिक अनुमान साढ़े छह ट्रिलियन
डॉलर बताया गया है। 2030 तक इसमें भारी बढ़ोतरी
का अनुमान है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
के जुटाए तथ्य बताते हैं कि दुनिया की करीब आधी आबादी अपने आत्मसम्मान, रिश्तों और
रोजमर्रा की जिंदगी के काम से जुड़े मसलों को लेकर मानसिक बीमारियों से प्रभावित है।
व्यक्ति का भावनात्मक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। लंबे और
स्वस्थ जीवन के लिए अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखना जरूरी है।
अच्छा मानसिक स्वास्थ्य
जीवन को बढ़ा सकता है जबकि खराब मानसिक स्वास्थ्य जीवन जीने के आनंद को कम करता है।
कई बार आम जीवन में हम जिन लोगों को सड़कों पर नग्न और दुरावस्था में घूमता देखते हैं,
वे और कोई नही, ऐसे मनोरोगी ही होते हैं जिनका इलाज नहीं हो पाता।
तमाम विशेषज्ञों का मानना
है कि इस किस्म के भावनात्मक व्यवहार बढ़ रहे हैं जिनका असर तनाव के रूप में सामने आता
है और अंततः वह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। एक शोध का परिणाम यह है
कि जो लोग अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाते, वे शराब और नशीली दवाओं की लत या बर्बरतापूर्ण जीवन
में फंस जाते हैं। बहुत से वयस्क और बच्चे किसी वजह से अपने किसी काम की वजह से कलंकित
महसूस करते हैं तो उनकी मानसिक मुश्किलें दूसरों से कहीं ज्यादा बड़ी हो जाती हैं।
Today is Holi, the festival of colours and forgetting past acrimonies. I believe this festival of India provides a social opportunity to reduce animosities and foster good feelings among friends, relatives and neighbours and thus reduces bad emotions which I believe must contribute to good mental health. So happy Holi to all readers of this blog.
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